Saturday, 8 February 2014

क्या सही है

खिले फूलों को डाली से तोडा नहीं जाता

टूटा हुआ आइना फिर जोड़ा नहीं जाता

,बस्तियां चली जातीं हैं खुद ही उठकर

नदी की धार को कभी मोड़ा नहीं जाता

,साथ रहते हैं कुछ लोग दूर रहके ताउम्र

दिल के रिस्तों को कभी तोडा नहीं जाता,

यह दिल तोड़े जाते हैं बेदर्दी से यहाँ दोस्तों

पत्थरों को भी नफरत से तोडा नहीं जाता,

काँटा भी काँटा निकालने के काम आ जाता है

बुझे हुए चरागों को भी कभी तोड़ा नहीं जाता,

ठोकर लगती रहती है राह में हज़ारों बार हमे

मंज़िल पाने का सपना कभी तोडा नहीं जाता,

छूट जाते हैं साथ गर्दिशों के तूफ़ान में अक्सर

जानबूझ के हाथो से हाथ कभी छोड़ा नहीं जाता,

जिनको आदत ही पड़ गयी हो अँधेरे में जीने की

फिर उजालों से उनका रिस्ता जोड़ा नहीं जाता !

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