Tuesday, 10 February 2015

कुछ छोटे सपनो के बदले , बड़ी नींदका सौदा करने ,निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगरठहरेंगे !वही प्यास के अनगढ़ मोती ,वही धूप की सुर्खकहानी ,वही आंख में घुटकर मरती ,आंसू की खुद्दारजवानी ,हर मोहरे की मूक विवशता ,चौसर के खानेक्या जानेहार जीत तय करती है वे , आज कौन से घरठहरेंगे....!निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगरठहरेंगे !कुछ पलकों में बंद चांदनी ,कुछ होठों में कैदतराने ,मंजिल के गुमनाम भरोसे ,सपनो के लाचारबहाने ,जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख सेछाया मांगे ,उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर परठहरेंगे .निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगरठहरेंगे .....!!

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