Wednesday, 19 September 2012
Sunday, 26 August 2012
khwab
हम तो मोहब्बत ढुंढने निकले थे..
कोई और न मिला तो तुमसे दिल लगा लिया..
हम तो लुटने ही चले थे..
खैर तुम्हारे हाथो ही सही...!!
ये मत सोच कि तुझमें कुछ बात हैं ..
जो हमने तुझे चाहा..
हम तो जलने ही चले थे..
खैर तुम्हारे हाथो ही सही..!!
ये मत सोच कि हम लुटके परेशां हैं..
या ग़म में कही डूबे हुए हैं..
खैर तुम्हारे हाथो ही सही..!!!
Zindagi ek Raat hai....
Jisme na jane kitne Khwaab hai.....
Jo mil gaye wo Apne hai.....
Jo tut gaye wo Sapne hai...
So enjoy every moments of ur Lovely Life..
इतनी ऊँची उड़ान तक पहुँचे!
भूमि से आसमान तक पहुँचे!
थोड़ा सम्मान क्या मिला तुमको यार!
तुम तो गुमान
तक पहुँचे!
हाथ गीता-क़ुरान पर लेकिन]
होंठ झूठे बयान तक पहुँचे!
माल पहुँचा है] मालदारों तक]
सिर्फ़ वादे जहान तक पहुँचे।
गिध्द सब उड़ गये दरख़्तों से]
तीर ज्यों ही कमान तक पहुँचे।
ये सियासत की देन है]
टुच्चे-साइकिल
से विमान तक पहुँचे!
जब अँधेरों पे हो फ़िदा सूरज]
रात कैसे विहान तक पहुँचे]
मार हुंकार प्रलय के स्वर में]
पीर सत्ता के कान तक पहुँचे।
Friday, 24 August 2012
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ
ज़ब्त कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना
नींद ऐसी उसे आए के जगा भी न सकूँ
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ
बेवफ़ा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ
ज़ब्त कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी न सकूँ
उस के पहलू[ में जो ले जा के सुला दूँ दिल कोनींद ऐसी उसे आए के जगा भी न सकूँ
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ
बेवफ़ा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
आहट
तुम्हारे आने की आहट
से
....
लगता है की तुम
अब मुझे पुकारने वाले हो
और प्रतीक्षा की घड़ियाँ
तुम्हारे पावों की आहट सुनने को
बेकरार हैं
.............................
जब भी सागर की ओर से हवाएं
चलतीं है
हमें महसूस होता है
की तुम मुझे पुकार रहे हो ,
खुला आसमान
में जोर से
मै कहता हूँ की तुम कहा हो ,
और तुम तक मेरी आवाज पहुँच जाती है ,
कैसे ये एक राज है ........अंशुल
Thursday, 23 August 2012
मेरे और तुम्हारे बीच
रात की एक सरहद थी
रात की मेड़ों पर
हम रोज मिला करते थे
सुबह नहीं होने की
रात की एक सरहद थी
रात की मेड़ों पर
हम रोज मिला करते थे
सुबह नहीं होने की
दोनो ही दुआ करते थे
दिन के उजालों ने
जो नसें खोलकर रख दी थीं
रात की ठंडी पलकों में
वे नसें सिला करते थे
दोनो हाथ रगड़ कर तुम
चिंगारी सी बन जाती थीं
साथ साथ जलने की कसमें
ऐसे भी निभा लेते थे
झूलों, गुड़ियों की दुनिया का
रंग बड़ा धानी सा था
उठने, गिरने, लड़ने की आदत
रंग इधर पानी सा था
रात की मेड़ों पर अक्सर
दीवारें छत हो जाती थीं
रेखाएं उलट पलट आखिर
समकोणों पर मिल जाती थीं
मेरे और तुम्हारे बीच
रात की एक सरहद थी
आज सुबह ही
सूरज से छेनी लेकर
कांटों की एक बाड़ लगा दी...
मालूम हुआ
तुम रात की सरहद तोड़
सुबह के आंगन में खिलने वाली हो
क्या करता
मेरे आंगन की ईंट बहुत तपती है
और
पांव तुम्हारे रूई से भी हल्के हैं...
दिन के उजालों ने
जो नसें खोलकर रख दी थीं
रात की ठंडी पलकों में
वे नसें सिला करते थे
दोनो हाथ रगड़ कर तुम
चिंगारी सी बन जाती थीं
साथ साथ जलने की कसमें
ऐसे भी निभा लेते थे
झूलों, गुड़ियों की दुनिया का
रंग बड़ा धानी सा था
उठने, गिरने, लड़ने की आदत
रंग इधर पानी सा था
रात की मेड़ों पर अक्सर
दीवारें छत हो जाती थीं
रेखाएं उलट पलट आखिर
समकोणों पर मिल जाती थीं
मेरे और तुम्हारे बीच
रात की एक सरहद थी
आज सुबह ही
सूरज से छेनी लेकर
कांटों की एक बाड़ लगा दी...
मालूम हुआ
तुम रात की सरहद तोड़
सुबह के आंगन में खिलने वाली हो
क्या करता
मेरे आंगन की ईंट बहुत तपती है
और
पांव तुम्हारे रूई से भी हल्के हैं...
Wednesday, 22 August 2012
chahat
Komal Komal Palkon Par,
Baraf Pari Hai Sapnow Ki….
Katra Katra Bheeg Rahi Hai,
Soorat Ik Khialown Ki….
Sookhay Sookhay Lamhon Kay Patown Pay,
Kiss Kay Saans Ki Ahat Hai….
Saath Clown Ya Ruk Jaown,
Kiss Saakh Pay Likhi Ijazat Hai….
Janay Kiss Dorahay Par Aakar Tahar Gia,
Pagal Dil, Pagal Dil“Komal Komal Palkon Par”
Baraf Pari Hai Sapnow Ki….
Katra Katra Bheeg Rahi Hai,
Soorat Ik Khialown Ki….
Sookhay Sookhay Lamhon Kay Patown Pay,
Kiss Kay Saans Ki Ahat Hai….
Saath Clown Ya Ruk Jaown,
Kiss Saakh Pay Likhi Ijazat Hai….
Janay Kiss Dorahay Par Aakar Tahar Gia,
Pagal Dil, Pagal Dil“Komal Komal Palkon Par”
और भी है राहे ........ जब तक निभे , किसी तरह निभाते रहिये , घर की बाते घर में , दुनिया से छुपाते रहिए . माना बहूत आँसू भिखरे है दहलीज पर, जो घर से निकलिए तो, मुस्कराते रहिये. सुर रोने का हो या गाने का, एक से ही है, पर जो मेरे सामने आइये , गुनगुनाते रहिये. लोग अक्सर खोकर ही पाने का मोल समझते है, उनके जी को अभी यु ही बहलाते रहिये. एक उसके सिवा दुनिया...
There's a bright golden haze on the meadow
There's a bright golden haze on the meadow
The corn is as high as an elephant's eye
And it looks like it's climbing clear up to the sky
Oh, what a beautiful mornin', oh what a beautiful day
I got a beautiful feelin' everything's goin' my way
All the sounds of the earth are like music
All the sounds of the earth...
There's a bright golden haze on the meadow
The corn is as high as an elephant's eye
And it looks like it's climbing clear up to the sky
Oh, what a beautiful mornin', oh what a beautiful day
I got a beautiful feelin' everything's goin' my way
All the sounds of the earth are like music
All the sounds of the earth...
यादों का बंधन
कुछ तो बात है
की तुमको भुलाने की चाह में .....
हम तुम्हें याद करतें है ,
तुमसे दूर जाने की चाह में
तुम्हारे पास खीचें आते हैं,...
कुछ तो बात है
की तुमको भुलाने की चाह में .....
हम तुम्हें याद करतें है ,
तुमसे दूर जाने की चाह में
तुम्हारे पास खीचें आते हैं,...
जब भी आती हैं तेरी याद ..
नींद मेरी आँखों से उड़ जाती है
काश............
तू मेरे पास होती
मै तुम्हें जी भर
के प्यार करता
...............
पर समन्दर बीच में आ जाता है....
जब भी मेरा सपना टूटता है.
अंशुल
teri aankho ke kor: कुछ तो बात है की तुमको भुलाने की चाह में ..... हम...
teri aankho ke kor: कुछ तो बात है
की तुमको भुलाने की चाह में ..... हम...: कुछ तो बात है की तुमको भुलाने की चाह में ..... हम तुम्हें याद करतें है , तुमसे दूर जाने की चाह में तुम्हारे पास खीचें आते हैं,...
की तुमको भुलाने की चाह में ..... हम...: कुछ तो बात है की तुमको भुलाने की चाह में ..... हम तुम्हें याद करतें है , तुमसे दूर जाने की चाह में तुम्हारे पास खीचें आते हैं,...
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