Sunday, 26 August 2012

इतनी ऊँची उड़ान तक पहुँचे!

भूमि से आसमान तक पहुँचे!

थोड़ा सम्मान क्या मिला तुमको यार!

 तुम तो गुमान तक पहुँचे!

हाथ गीता-क़ुरान पर लेकिन]

होंठ झूठे बयान तक पहुँचे!

माल पहुँचा है] मालदारों तक]

सिर्फ़ वादे जहान तक पहुँचे।

गिध्द सब उड़ गये दरख़्तों से]

तीर ज्यों ही कमान तक पहुँचे।

ये सियासत की देन है]

 टुच्चे-साइकिल से विमान तक पहुँचे!

जब अँधेरों पे हो फ़िदा सूरज]

रात कैसे विहान तक पहुँचे]

मार हुंकार प्रलय के स्वर में]

पीर सत्ता के कान तक पहुँचे।

 

No comments:

Post a Comment