Wednesday, 22 August 2012

और भी है राहे ........ जब तक निभे , किसी तरह निभाते रहिये , घर की बाते घर में , दुनिया से छुपाते रहिए . माना बहूत आँसू भिखरे है दहलीज पर, जो घर से निकलिए तो, मुस्कराते रहिये. सुर रोने का हो या गाने का, एक से ही है, पर जो मेरे सामने आइये , गुनगुनाते रहिये. लोग अक्सर खोकर ही पाने का मोल समझते है, उनके जी को अभी यु ही बहलाते रहिये. एक उसके सिवा दुनिया...

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